Monday 1 December 2014

सुगली

     सुगली का मतलब होता है गंदी औरत, उसे देख कर मै हैरान था इतनी गंदी सी सुरत और गंदे से कपडे उसमे से गंदी सी बदबू आरही थी , कोई भी उसकेपास बैठना पसंद नही करता था, जब वह होस्पिटल मे आई तो उसकी हालत बहुत ही खराब थी सिर्फ हड्डी का ढांचा लग रही थी मैंने पुछा कौन हो तुम ? वह कुछ बोलती  उससे पहले ही और लोग बोलने लगे “ सुगली है सा सुगली है.......” मैने पुछा” ‌क्या मतलब ? तो लोगो ने बताया “ साहेब इसके वो सुगली बिमारी है जो एक दुसरे मे फैलती है इस लिये इससे कोइ भी बात नही करता ये हमेशा बीमार ही रहती है”
        मैंने उसी से पुछा- कौन हो तुम ? वह मेरी तरफ देखने लगी एक दम दीन हीन सी , होठ फटे हुये, गंदे से दांत ,थोडा सा मुस्कुराई और बोली- नही पह्चाना साहेब? मै सुगना , तीन चार बरस पहले मेरे पति को लेकर आती थी , उनको टी.बी हो गई थी और आपने उदैपुर भेजा था” मैंने दिमाग पर जोर दिया ,वह फिर बोली “कुछ याद आया ? मै चुप ही रहा वह फिर बोली “वह ठीक हो जाता लेकिन साब उसने शराब को नही छोडा , साब ! शराब उसे खा गई ,मै बर्बाद हो गई  .........” और वह रोने लगी;
        “ अरे साब ! ये तो काली (पगली) है”  एक आदमी मुझे समझाने लगा “इसकी बातो मे मत आना ये तो सुगली औरत  है इसी ने मार दिया अपने पति को” , मै चुपचाप सुन रहा था वह बोलता ही जा रहा था “ जब से वह इसको परणा (विवाह)  के लाया था तब से ही बिमार रहने लगा था ये ही खा गई साब उसको , वह आद्मी इस औरत पर पुरा आरोप मढ रहा था लेकिन सचाई क्या थी ये मुझे अब समझ मे आ रही थी मै उसे पहचान गया था पुरी कहानी मेरी आंखो के सामने फिल्म की तरह आ गई
          जब मै नया नया इस गांव मे आया ही था उसी समय की बात है, सभी अनपड लोग थे लग भग लोग आदिवासी(ट्राइबल)  कोइ भी ढंग से हिंदी नही बोल पाते थे और ना ही समझ पाते थे  मै जब नाम पता  पुछता तो कोई भी ढंग से नही बता पाते थे  , लेकिन ये औरत ही एक ऐसी थी जो अपना पुरा परिचय दे देती थी “ मेरा नाम सुगना है सा मेरे पति का नाम नारायन है जाति मैणा  उम्र फला फला ..... सब झट पट बता देती थी , बहुत ही सुंदर एकदम स्वस्थ , लेकिन पति हमेशा बीमार ही रह्ता था वह उसे बार बार होस्पिटल लेकर आती थी मै जब भी उसे मजाक मे कहता कि इस बीमार आदमी के पिछे क्यो जीवन बर्बाद कर रही है छोड इसे और दुसरी शादी करले तब वह गुस्से मे कहती कि सीता मॉ की कसम मर जाउंगी लेकिन पराये आदमी के बारे मे सोच भी नही सकती, साब ! दुबारा ऐसी बाते मुझसे मजाक मे भी मत करना, मैंने उसे फिर छेडा “अच्छा तो नारायन बता कहा से लाया है इसे .... वह फिर चिड गई “ शादी करके लाया है उठा के थोडे ही लाया है “
           इतनी मासूम थी सुगना, छोटी उम्र, बडी उम्र का पति लेकिन इतनी खुश और बेहद समर्पित, नारायन को टी. बी. हो गई मैंने उसे उद्यपुर रेफर कर दिया मेरी नियुक्ती आयुर्वेदिक औषधालय मे थी और गांवो मे औषधालयो की बहुत बुरी हालत है जांच की सुविधा तो इस इलाके के स्वास्थ्य केंद्र पर भी नही है तो फिर आयुर्वेदिक मे तो क्या कहना,  मुझे उसके एच.आइ.वी. का भी शक हो रहा था मैंने नारायन को सचेत भी किया  था लेकिन शायद उसने मेरी बात नही मानी,और बिमारी बढती गई होगी और खुद के साथ सुगना को भी मौत के मुह मे ढकेल कर चला गया  
           सुगना की रिपोर्ट निकालने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा , रिपोर्ट पोजिटिव आइ , उसे ए.आर.टी.सेंटर जोधपुर भेजने की व्यवस्था की और उसका इलाज शुरु किया गया
           लेकिन मै यह सोचने पर मजबूर था कि किसकी गलती थी? इस जहाँ की ये "अजीब दास्तान" है कि लोग किसे "सुगली" कह रहे थे और सच मे गंदा कौन था ? सोचो ! सुगना या नारायन ????

                

2 comments:

  1. मार्मिक और विचारणीय लेख....आज ग्रामीण जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है...

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  2. प्रेरणादायक

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