Wednesday 13 April 2016

काळो किशनो.....


          लोग उसे देख कर भाग रहे थे कुछ लोग छुप रहे थे, और किशन सिह  लडखडाता पडता उठता मेरी तरफ ही आ रहा था, काला बदन, गन्दे कपडे, पुरा छः फुट का लम्बा तगडा जवान लेकिन गंदगी से सना हुआ और तो और कपडो मे ही पैसाब किया हुआ बदबू मार रहा था, वह सीधा मेरी तरफ ही आ रहा था,और आकर जोर जोर से रोने लगा – साब ! मेरे से बहुत बडी गलती हो गई, हु .... हु.... हु..... वह रोये जा रहा था  मै ने उससे पिछा छुडाने के लिये  औषधालय को बंद किया और मोटरसाईकल लेकर घर की तरफ रवाना हो गया, छुप छुप कर लोग मेरी ये सब हरकत देख देख कर हँस रहे थे, मै तो उस भयंकर भूत से बचना चाह रहा था, थोडा आगे जाकर रूक गया और उस पागल भूत की हरकते देखने लगा, वह पडता उठता रोता चिल्लाता दुसरी ओर निकल गया तब मै वापिस आ गया, औषधालय खोला और फिर से काम मे लग गया, तब एक ग्रामीण आया और मेरी मजाक बनाता हुआ बोला – डाक्टर साब ! किसना से डर कर, कहा भाग गये थे , मै ने मुस्करा कर जबाव दिया –“ कौन मुँह लगे उस पागल के, इसलिये थोडी देर औषधालय  बंद करके उधर छुप गया था,

           आज मै जो दांस्तान बयान कर रहा हुँ वह सेना का सेवा निवृत जवान किसन सिंह की एक अजीब दांस्तान  है  बडा ही अच्छा और नेक बंदा , फोज मे एक ड्राईवर था अभी अभी रिटायर होकर आया था, एक दम ठाला कोई काम धंधा तो था  नही तो क्या करे यार दोस्तो मे बैठ कर शराब का नशा करने लग गया, कहते है खाली मकान और खाली दिमाग मे शैतान बस जाते है किशना मे भी नशे का शैतान बस गया था

           हमारे देश मे बडा अजीब नियम  है यहाँ पर शराब पीना बहुत ही गंदी बात मानी जाती है लोग शराबियो से बहुत ही नफरत करते है कई प्रकार के गीत भी गाये जाते है जैसे – “दारूडिया न अळ्ग पटको जी अण मे भुंडी आवे बास” लेकिन इसके विपरीत यहाँ की सरकार शराब के ठेके करोडो रूपयो मे देती है और सबसे अजीब यह है कि फोजियो को यह शराब रियायत दर पर मिलती है, अब किशना ठहरा फोजी उसका तो हक बनता है कि वह शराब लाये और पीये, वह भी पीने लगा, शुरू शुरू मे तो कम कम पीता था और जब वह सादा रहता, तो बहुत ही मिलनसार और अच्छी बात करता , लेकिन जब शराब रोजाना पीने लगा तो अब आदत पड गई और हम सब जानते ही आदत तो किसी भी वस्तु की पड जाये तो खराब ही है किशना भी अब आदी हो गया और जब ज्यादा पी लेता, तो उसे कोई ध्यान नही रहता, वह पागलो की तरह इधर उधर भटकता रहता और  लोग उसे काळा काळा कह कर पुकारते, आज काळो किशनो मेरे गले पडने वाला था लेकिन मै बच कर भाग गया, मारवाडी मे काळा का मतलब होता है पागल व्यक्ति, मुलतः यह शब्द गुजराती भाषा से आया है लेकिन अब मारवाड मे आम रूप मे प्रचलित है

          बुरे आदमी से सब बचना या छुपना चाहते है जैसे मै भी पिछा छुडा कर छुप गया था, और जब पागल आदमी गांव गली मे घुमे तो कोई फर्क नही पडता सिर्फ देखकर मजा ही आता है लोग पत्थर मारते  है बच्चे लोग  हो.. हो... करके चिल्ला कर मजे लेते है जैसे सांप दिख जाये तो पत्थर मार कर उसे मार देंगे या भगा देंगे  लेकिन जब सांप बगल मे ही सोये तो नींद नही आती, किशन सिन्ह के परिवार मे भी यह सब चलने वाला नही था, बच्चे तो फिर भी डर के मारे कुछ नही बोलते थे लेकिन पत्नी शांती देवी की शांती भंग होने लगी तो यह सब बर्दास्त नही हो रहा था, रोज झग़डा होने लगा झगडे मे बच्चो को भविष्य खतरे मे पडने लगा और जब बच्चो पर बात आती है तो माँ शेरनी बन जाती है,

          अब किशन सिंह की हालत को देखकर उसकी पत्नी ने विरोध के स्वर तेज कर दिये जब वह उसे मारता तो वो भी उसे जबाव देने लगी लोगो को तो मजा आने लगा कोई उन दोनो को छुडाने के बहाने से जाते और कोई लोग दूर खडे रहकर उनके खेल को देखते और गांव मे तरह तरह की चर्चा होती कि- “शांति ने पत्ति को डंडे से मारा, फिर किशन सिन्ह के प्रति दया दिखा कर कहते –“ बेचारे का सिर फोड दिया” लोग सारा दोष उसकी पत्नी पर ही मढ देते, “पत्ति घर आ गया तो सुहाता नही है ,आजादी छिन गई छिनाल की, अब गुलछरे उडाने का मौका नही मिलता इसलिये बेचारे से झगडा करती है”

          जब पानी सिर से उपर आने लगा तो किशन की पत्नी ने कानून का सहारा लिया कानूनी तौर पर पत्नी पर हाथ उठाना हिंसा है और घरेलू हिंसा मे किशन सिन्ह को थाने की हवा खानी पडी, लोगो ने शांती का यह रूप देख कर चर्चाये शुरू कर दी बाते बनने लगी, चंडी हो गई है शांती तो, घर वालो ने तो शांती नाम रखा था लेकिन यह तो डायन है डायन” लेकिन शांति तो अब अशांत हो ही चुकी थी उसने किशन सिन्ह की पेमेंट का आधा हिस्सा भी अपने नाम करवा लिया,
कानून जितना कठोर है उतना ही नर्म भी है किशन को जमानत मिल गई और वह घर वापिस आ गया लेकिन कहते है ना घर तो बीबी बच्चो से होता है और किशना के बीबी बच्चे तो उससे नाराज थे, वह  बहुत ही समझदारी और मधुर व्यवहार के साथ रहने लगा , लोग उसे बर्गलाते और कहते – तेरी पत्नी ने तेरी सारी इज्जत मिट्टी मे मिला दी” वह गमगीन रहने लगा उदास रहता मेरे पास फिर से आने लगा कहता –“साब !  घर मे और गांव मे मन नही लगता, कहा जाऊ क्या करू कुछ समझ मे नही आता,”
 
           वह मेरे पास रोज आने लगा और उसकी पत्नी ने मुझसे नशा मुक्ति की दवा भी शुरू कर रखी थी वह आता तो मै उसे खूब समझाता कि जीवन मे परिवार ही सब कुछ होता है वह रोने लग जाता कि मेरी इज्जत खराब कर दी मै ने उसे समझाया कि इज्जत तो शराब ने खराब की है तेरी पत्नी और बच्चे तो तुझे बहुत चाहते है तु सही हो जायेगा तो सब कुछ ठीक हो जायेगा वह मेरी  बाते मानने  लगा, दवा लगातार चलती रही

           वह मेरे पास आता और पारिवारिक चर्चा भी करता और कुछ शराब छोडने की दवा भी पुछता – साब ! कोई ऐसी दवा हो तो बताओ मै शराब से मुक्ति चाहता हुँ” सच मे वह सुधरना चाहता था, दवा तो उसकी पत्नी पहले से ही ले जा रही थी मानसिक मनोबल मै बढाता रहा और कई प्रकार की सलाह भी उसे देता रहता था उसे कहता – आप किसी काम मे व्यस्त रहो जब आप व्यस्त रहेंगे तो इस शराब की तरफ मन नही जायेगा”

           अब किशन सिन्ह खेती करने लगा और व्यस्त रहने लगा, वह अब शराब से कोसो दूर है लेकिन अभी भी लोग उसे काळो किशनो ही कहते है और चिडाते भी है – तेरी पत्नी ने तुझे पुलिस से पिटवाया और तु है कि उसकी चाकरी करता है” लेकिन किशन सिन्ह के कोई फर्क नही पडता क्योकि बुराई रूपी दुश्मन पर जीत प्राप्त करने मे अपने ही साथ दे सकते है चाहे रास्ता कठोर ही क्यो ना हो, अब उसकी बीबी और बच्चे भी बहुत खुस है,

            अजीब दांस्तान यह है कि जब पत्ति कुछ गलत काम करता है और पत्नी उसको मना करती है तो लोग गलत काम करने वाले पत्ति को गलत या बुरा नही कहते बल्कि पत्नी पर ही तरह तरह के आरोप लगाते है, और सबसे अजीब तो यह है कि जब व्यक्ति सुधर जाता है तो भी लोगो को हजम नही होता अब सोचने वाली बात यह है कि सच मे काळो कौन है ... किशना या गांव वाले....

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